बीएयू में बौद्धिक संपदा अधिकार: अवधारणा से व्यावसायीकरण विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
बौद्धिक सम्पदा अधिकार दिवस (IPR Day) के अवसर पर आज दिनांक 26.04.2025 को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में दो दिवसीय संगोष्ठी की शुरआत हुई। इस संगोष्ठी में बड़ी संख्या में एग्रीस्टार्टअप्स, किसान, छात्र और सम्बंधित विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैँ। इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 302 लोगों निबंधन कराया।
कार्यक्रम की शुरुआत उद्घाटन सत्र से हुई जिसमें अतिथियों को विश्वविद्यालय के स्टार्टअप्स द्वारा तैयार उत्पाद देकर स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि पद्मश्री आर. सी. चौधरी रहे, अन्य अतिथियों में IIT खरगपुर के ABIS विभाग के निदेशक श्री के. वी. आययर, सी-डेक पटना के निदेशक डॉ आदित्य कुमार सिन्हा, नियाम, जयपुर के निदेशक डॉ रवि गोयल, ICAR, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. शिवदत्त शर्मा एवं राष्ट्रपति पुरुस्कार विजेता किसान श्री अर्जुन मंडल संगोष्ठी में शामिल रहे। उद्घाटन सत्र की शुरआत निदेशक शोध डॉ ए. के. सिंह के स्वागत भाषण से हुयी जिसमें उन्होंने सभा को बौद्धिक सम्पदा अधिकार के महत्व से अवगत कराया।
मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ आर.सी. चौधरी ने काला नमक धान के GI हासिल करने के बाद इसके व्यावसायिक फायदे के बारे में अपना अनुभव साझा किया और उन्होंने कहा कि नए युग के स्टार्टअप्स को भी नई ऊर्जा और उमंग के साथ कार्य करना चाहिए। आईआईटी खड़गपुर के निदेशक डॉक्टर के. वी. अय्यर ने कहा की मौजूदा एग्री स्टार्टअप्स के लिए चुनौतियां तो है लेकिन अवसरों के बाजार भी खुले हुए हैं उन्होंने विश्वविद्यालय के सबएग्रीस विशेष कर मखाना स्टार्टअप्स की सराहना की। सीडैक पटना के निदेशक डॉ आदित्य कुमार सिन्हा ने इनोवेशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भारतीय बौद्धिक संपदा को संरक्षित करने पर बल दिया उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि सामूहिक या संस्थागत रूप से हासिल करना बेहतर है उन्होंने उच्च स्तर के बौद्धिक संपदा को हासिल करने पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि बीएयू और सी-डेक मिलकर कृषि और तकनीक से नए बौद्धिक संपदा बनाने पर कार्य कर रहे हैं। नियाम, जयपुर के निदेशक डॉक्टर रवि गोयल ने बौद्धिक संपदा के शक्ति के बारे में चर्चा की। ICAR नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर शिव दत्त शर्मा ने आईपीआर को व्यावसायिक रूप से उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत में बहुत तेजी पेटेंट फाइल किया गया है।
*अपने अध्यक्षीय भाषण में बीएयू के माननीय कुलपति डॉ डॉ डी. आर. सिंह* ने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए पहल ऐसा मौका है जब आईपीआर पर इतने सारे विशेषज्ञों के साथ स्टार्टअप किसान और छात्र एक साथ मंथन कर रहे हैं उन्होंने कहा कि सरकार के कॉपीराइट दर्ज करने के सरल नियम और शुल्क काम किए जाने के कारण आज तेजी से पेटेंट हासिल हो रहे हैं उन्होंने "वन साइंटिस्ट वन आईपीआर" पर कार्य करने का निर्णय भी लिया साथ ही कहा कि हमें आज जरूरत है कि हर जिले से नवाचार और उत्पाद को चिन्हित किया जाए। माननीय कुलपति ने कहा कि इंडो- गंगेटिक प्लेन दुनिया का सबसे विविधताओं से भरा क्षेत्र है इसे हमें अधिक से अधिक उत्पादन में बदलकर नए पेटेंट लेने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि बीएयू तेजी से GI और पेटेंट फाइल कर रहा है इसके लिए 80 आवेदन बिहार कृषि विश्वविद्यालय की ओर से फाइल किया गया है। उन्होंने कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स के लिए बहुत सारे अवसरों की चर्चा की। माननीय कुलपति ने स्टार्टअप्स को सलाह दिया कि अपने उत्पाद को विविधीकरण करें, एक उत्पाद पर निर्भर न रहे।उन्होंने सलाह दिया कि तमाम क्षेत्रों में अवसरों के अनुसार नवाचार करें। माननीय कुलपति ने छात्रों को भी आईपीआर के बारे में सीखने की सलाह दी।
इस अवसर पर स्टार्टअप्स पर आधारित पुस्तकों एवं समाचार पत्र-पक़त्रिकाओं का विमोचन भी किया गया।
*तकनीकी सत्र :* संगोष्ठी में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के प्राध्यापक और स्टार्टअप्स ने अपनी प्रस्तुतीकरण दिया। इस सत्र में अतिथियों ने स्टार्टअप्स को अपना सुझाव दिया और नवाचार के साथ अधिकतम व्यवसायिकरण क्षमता को बढ़ाने का सलाह दिया।
*नियाम (National Institute Of Agricultural Marketing) जयपुर और बीएयू में हुआ MaU :*
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के सबएग्रीस और राष्ट्रीय विपणन संस्थान, जयपुर में एक हस्ताक्षर हुआ जिसमें विश्वविद्यालय के स्टार्टअप्स को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण विपणन कौशल सिखाने में मदद दी जाएगी।