बिहार कृषि विश्वविद्यालय में 28वीं प्रसार शिक्षा परिषद की बैठक सम्पन्न, ‘कैंपस टू कम्युनिटी’ की संकल्पना पर दिया गया बल
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में आज दिनांक 05 जुलाई 2025 को 28वीं प्रसार शिक्षा परिषद (Extension Education Council) की बैठक का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों, विषय-विशेषज्ञों एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. के. सोहाने के स्वागत भाषण के साथ हुआ। बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय डॉ. डी. आर. सिंह ने की। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित फसलों की किस्में आज राज्य ही नहीं, पूरे देश में किसानों के खेतों की शोभा बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि बीज उत्पादन में किसानों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है ताकि प्रौद्योगिकी का लाभ सीधे खेतों तक पहुँचे।
डॉ. सिंह ने ‘कैंपस टू कम्युनिटी’ की अवधारणा को रेखांकित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में विकसित सभी तकनीकें और शोध किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए है, न कि सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए।
बैठक में डॉ. अंशुमान कोहली ने विश्वविद्यालय द्वारा विकसित धान की नवीनतम किस्मों की जानकारी दी। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर. के. सोहाने ने विश्वविद्यालय की विभिन्न प्रसार गतिविधियों एवं उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया।
उन्होंने सतत विकास लक्ष्यों (SDG Goals) के अनुरूप कृषि प्रसार द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। डॉ सोहाने ने बताया कि गरीबी उन्मूलन को ध्यान में रखते हुए 13 प्रमुख विषयों पर किसानों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
डॉ. के. डी. कोकाटे, पूर्व उपमहानिदेशक (ICAR) ने अपने संबोधन में कहा कि यदि हर गाँव में एक करोड़ रुपये का कृषि उत्पादन लक्ष्य रखा जाए तो देश की आय एक बार में 7 लाख करोड़ रुपये बढ़ सकती है, जो भारत को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
इसके अतिरिक्त डॉ. धूम सिंह (पूर्व निदेशक, CSAU&T, कानपुर), डॉ. आर. एन. पडरिया (संयुक्त निदेशक, IARI, नई दिल्ली), डॉ. अंजनी कुमार (निदेशक, ICAR-ATARI, पटना) ने भी सभा को सम्बोधित करते हुए बीएयू के अंतर्गत कार्य कर रहे कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा चलाये जा रहे प्रसार गतिविधियों की समीक्षा की।
डॉ. मीनू शशि ने विश्वविद्यालय द्वारा कुपोषण पर चलाई जा रही परियोजनाओं की प्रस्तुति दी।
बैठक में कई महत्वपूर्ण *प्रकाशनों का विमोचन* किया गया, जिनमें शामिल हैं:
“प्राकृतिक खेती एवं स्वास्थ्य” (केवीके भोजपुर एवं रोहतास)
प्राकृतिक खेती (केवीके मुंगेर)
कृषक संदेश (केवीके भोजपुर द्वारा प्रकाशित)
मोटा अनाज पर आधारित पुस्तक (केवीके पूर्णिया)
इसके अतिरिक्त नालंदा जिले के प्रगतिशील किसान श्री वीरेश कुमार को किसान पुस्तकालय स्थापित करने हेतु कृषि-आधारित पुस्तकें प्रदान की गईं। यह बीएयू द्वारा स्थापित पांचवां किसान पुस्तकालय है, जो किसानों के ज्ञानवर्धन हेतु राज्यव्यापी पहल का हिस्सा है।
आयोजन में सभी कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा प्रस्तुतीकरण दिया गया, जिस पर सभी विशेषज्ञयों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिया। रेडियो जॉकी अन्नू ने सभा का संचालन किया।
कार्यक्रम में शामिल सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों ने प्रसार शिक्षा के ज़रिए कृषि नवाचारों को गाँव-गाँव तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया। समापन में विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए और धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।