भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अंतर्गत प्रस्तावित 12वीं समूह अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना की चार दिवसीय वार्षिक कार्यशाला का आयोजन आज बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के मुख्य सभागार में आरंभ हुआ। आज प्रातः 08ः30 बजे से ही राष्ट्रीय स्तर के फल वैज्ञानिकों की चहल-पहल पंजीकरण कराने हेतु देखी गई। कार्यक्रम की शुरूआत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के गीत के बोल से शुरू हुई।
कार्यक्रम की शुरूआत मंच पर गणमान्य व्यक्तियों द्वारा आसन ग्रहण करने के साथ हुआ। मंच पर आसिन गणमान्य व्यक्तियों में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के माननीय कुलपति डाॅ0 डी0 आर0 सिंह, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति डाॅ0 के0 बी0 कथारिया, भूतपूर्व निदेशक, आई0 आई0 एस0 आर0, डाॅ0 वी0 ए0 पारथसार्थी, डाॅ0 पी0 सी0 त्रिपाठी, मुख्य वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली, डाॅ0 सुभाष चन्द्रा, भूतपूर्व निदेशक, एन0 सी0 आई0 पी0 एम0, नई दिल्ली, डाॅ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, डाॅ0 प्रकाश पाटिल, सचिव एवं परियोजना समन्वयक (फल), आई0 आई0 एच0 आर0, बेंगलूरू एवं डाॅ0 रवीन्द्र कुमार, सचिव, स्थानीय आयोजक समिति, उद्यान विभाग (फल), बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर। कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य डाॅ0 सरिता नाहकपम द्वारा किया गया। तत्पश्चात् सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 प्रकाश पाटिल, सचिव एवं परियोजना समन्वयक (फल), आई0 आई0 एच0 आर0, बेंगलूरू का स्वागत बिहार कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डाॅ0 डी0 आर0 सिंह द्वारा पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। इसी क्रम में आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति डाॅ0 के0 बी0 कथारिया एवं डाॅ0 पी0 सी0 त्रिपाठी, मुख्य वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली का स्वागत डाॅ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। भूतपूर्व निदेशक, आई0 आई0 एस0 आर0, डाॅ0 वी0 ए0 पारथसार्थी का स्वागत डाॅ0 फिजा अहमद, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 आर0 के0 सोहाने, निदेशक प्रसार शिक्षा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा डाॅ0 सुभाष चन्द्रा, भूतपूर्व निदेशक, एन0 सी0 आई0 पी0 एम0, नई दिल्ली का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान का स्वागत डाॅ0 प्रकाश पाटिल, सचिव एवं परियोजना समन्वयक (फल), आई0 आई0 एच0 आर0, बेंगलूरू द्वारा पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 एम0 हक, कुलसचिव एवं निदेशक प्रशासन द्वारा डाॅ0 दामोदरन, भारतीय उप्पोषण बागवानी संस्थान, लखनऊ का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 एम0 के0 सिन्हा, प्राचार्य, बिहार कृषि महाविद्यालय द्वारा डाॅ0 डी0 के0 घोष, मुख्य वैज्ञानिक, सी0 सी0 आर0 आई0, नागपुर एवं निदेशक एन0 आर0 सी0, केला, मुजफ्फरपुर का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 शैलबाला देई, उप निदेशक अनुसंधान, बिहार कृषि विश्वविद्यालय द्वारा डाॅ0 विकास दास, निदेशक, एन0 आर0 सी0, लीची, मुजफ्फरपुर एवं डाॅ0 रूबी रानी, अध्यक्षा उद्यान (फल), बिहार कृषि महाविद्यालय द्वारा डाॅ0 आॅगस्टिन, परियोजना समन्वयक, सी0 पी0 सी0 आर0 आई0, केरल का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। डाॅ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान द्वारा डाॅ0 एस0 के0 सिंह, उप महानिदेशक (उद्यान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली का स्वागत आभासी रूप से पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया, डाॅ0 एस0 के0 पाठक, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर ने डाॅ0 एच0 पी0 महेशवरप्पा, मुख्य वैज्ञानिक, ए0 आई0 सी0 आर0 पी0 (पाम) का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं मखाना भेंट के रूप में देकर किया गया। पुष्प गुच्छ के देकर स्वागत करने के बाद कार्यक्रम की शुरूआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ संपंन हुआ। गणमान्य अतिथियों ने मीडिया सेंटर, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा संपादित एवं छायांकित सफरनामा का अवलोकन किया।
कार्यशाला की सैद्धांतिक शुरूआत डाॅ0 ए0 के0 सिंह, निदेशक अनुसंधान के स्वागत भाषण से हुआ। इन्होंने अपने स्वागत भाषण में सभी गणमान्य अतिथियों का, प्रशाल में उपस्थित सभी वैज्ञानिक, मीडिया का स्वागत किया। तत्पश्चात् डाॅ0 प्रकाश पाटिल, सचिव एवं परियोजना समन्वयक (फल), आई0 आई0 एच0 आर0, बेंगलूरू ने परियोजना के वैज्ञानिकों द्वारा विगत वर्षों में किये गये अनुसंधान कार्यों को प्रस्तुत किया। इसी दरमियान इन्होंने अपने रिपोर्ट में बताया की अखिल भारतीय स्तर पर कुल 49 केन्द्रों में अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना का संचालन हो रहा है। इसके लिए इन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली को धन्यवाद दिया तथा कुछ प्रज्वलित मुद्दों पर भी अपने विचार रखे। इन्होंने अपने प्रस्तुती में बताया कि अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना में कार्यरत सभी वैज्ञानिकों ने शोध पत्रों के प्रकाशन पर काफी जोर दिया है। इन्होंने बताया कि विगत वर्ष में 80 शोध पत्रों का प्रकाशन हुआ है जो सराहनीय है।
कार्यशाला के अगले चरण में 9 पुस्तकांे का विमोचन और 7 प्रगतिशील किसानों के नवाचार को प्रोत्साहन देने हेतु प्रमाण पत्र देकर किया गया। प्रगतिशील किसानों में झारखंड की सोनी देवी, पुसा के सुधांशु कुमार, शाहकुण्ड के मनीष चन्द्रा एवं बेगुसराय के अनिश कुमार आदि प्रमुख थे।
डाॅ0 पी0 सी0 त्रिपाठी, मुख्य वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने अपने भाषण में 30 वर्ष पुरे करने के लिए अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली को बधाई दी तथा 35000 फलों के जर्मपलाज्म को संग्रह करने के लिए भूरी-भूरी प्रशंसा की। आनंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति डाॅ0 के0 बी0 कथारिया ने अपने संबोधन में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डाॅ0 डी0 आर0 सिंह की विश्वविद्यालय की चैमुखी विकास करने के लिए प्रशंसा की। डाॅ0 वी0 बी0 पटेल, सहायक उपनिदेशक उद्यान (फल), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने आभासी रूप से दिये अपने संबोधन में कार्यशालास में भौतिक रूप से उपस्थित न होने का दुख जताया एवं शोध पत्रों के प्रकाशन पर खुशी जताई। इसी क्रम में डाॅ0 संजय कुमार सिंह, उप महानिदेशक, उद्यान (फल), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर में चल रहे चार दिवसीय वार्षिक कार्यशाला को महान घटना कहकर संबोधित किया तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उद्यान (फल) के अनुसंधान के क्षेत्र में किये गये एतिहासिक योगदान को याद किया एवं सराहा। उन्होंने बिहार कृषि विश्वविद्यालय परिसर को एक माॅडल परिसर के रूप में परिभाषित किया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डाॅ0 डी0 आर0 सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में इस विश्वविद्यालय परिसर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली को 12वीं समूह अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना की चार दिवसीय वार्षिक कार्यशाला का आयोजन स्थल बनाने के लिये धन्यवाद दिया तथा डाॅ0 वी0 ए0 पारथसार्थी की गरीमामयी उपस्थिति को वैज्ञानिकों के लिए सौभाग्य बताया। इन्होंने अपने संबोधन में अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के इतिहास पर भी प्रकाश डाला तथा इन्होंने बताया की इस परियोजना की शुरूआत 1972 में हुई और आज इस परियोजना के 52 वर्ष पुरे होने पर फलों के उत्पादन पर 352 मिलियन टन होने पर परियोजना की सार्थकता बताई। इन्होंने बताया इस विश्वविद्यालय में 249 आम फल के जीव द्रव्य उपलब्ध हैं जो कि एक अच्छी उपलब्धि है। इन्हांेने अपने अध्यक्षीय संबोधन में भारत वर्ष में बिहार एक अकेला राज्य बताया। जो कृषि रोड मैप बनाकर अपने विकास के मार्ग पर अग्रसर है। इन्होंने बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार की कृषि प्रयासों के लिए किये गये कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। बिहार राज्य सरकार द्वारा पी0 एच0 डी0 कृषि छात्रों को दलहन एवं मोटे अनाजों पर अनुसंधान करने हेतु की गई विशेष आर्थिक व्यवस्था की भी सराहना की। इन्होंने बताया की केला और आम के उत्पादन में हम राष्ट्रीय उत्पादन से तो आगे हैं परंतु लीची एवं अमरूद में पीछे हैं जो चिंता का विषय है तथा इसके निराकरण के लिए डाॅ0 संजय कुमार सिंह, उप महानिदेशक, उद्यान (फल), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली से आग्रह किया तथा स्ट्राॅबेरी के प्लांटिंग मटेरियल में आ रही कमी पर भी जोर दिया। इन्होंने डाॅ0 संजय कुमार सिंह से आग्रह किया की भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के कार्य क्षेत्र को विस्तार किया जाय तथा उसमें नये फसलों जैसे की पानी फल, एवोकैडो, चीकू आदि को भी जगह दी जाय। इन्होंने फलों के पैकेजिंग पर एवं स्वदेशी फलों के किस्मों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। विश्वविद्यालय के जनसंपर्क पदाधिकारी, डाॅ0 राजेश कुमार ने बताया की कार्यशाला के उद्घाटन सत्र डाॅ0 रवीन्द्र कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ संपंन हुआ।