अगले हरित क्रांति में “बीज” और “जल-संरक्षण” की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में 28वी0 शोध परिषद् की बैठक (रबी 2024-25) का विधिवत् शुभारंभ दिनांक 22.10.2024 को माननीय कुलपति डा0 डी आर सिंह एवं सम्मानित अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलीत कर किया गया। कार्यक्रम में आये हुए सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान डा0 ए0 के0 सिंह द्वारा पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर किया गया। अपने स्वागत भाषण में निदेशक अनुसंधान ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न शोध परियोजनाओ एवं इससे जुड़ी हुई उपलब्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति महोदय के कुशल नेतृत्व, देखरेख एवं मार्गदर्शन के परिणाम स्वरूप मात्र दो वर्षो में विश्वविद्यालय को 14 पेटेंट प्राप्त हुए है और 5 मूल्यवान कृषि उत्पाद जैसे कतरनी धान, जर्दालू आम, शाही लीची, मगहीपान और मिथिला मखाना का ळण् प्ण् पंजीकरण प्राप्त हुआ है। उन्होने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में शोध की 692 परियोजनाऐ चल रहे है जिनमें 269 परियोजनाओ का सफलतापूर्वक समापन हो चुका है। और वर्तमान में 423 परियोजनाओ का कार्य प्रगति पर है।विश्वविद्यालय के द्वारा नई-नई फसलो में सोयाबीन, अरहंडी, रामतील, कुसुम पुष्प इत्यादि फसलो पर शोध कार्य को प्रारंभ करने के लिए वैज्ञानिकों को निर्देशित किया गया हैंें।
कार्यक्रम में बी0एच0यू0, वाराणसी के विषय विशेषज्ञ डा0 सुरेन्द्र सिंह ने अपने उद्बोधन में मिट्टी के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की सलाह दी। उन्होनंे कहा कि अच्छे जीवन और अच्छे भोजन के लिए मिट्टी का स्वस्थ होना आवश्यक है।
विषय विशेषज्ञ के तौर पर आये हुए चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के प्रख्यात वैज्ञानिक डा0 सी0 पी0 सचांन ने कहा कि आज की कृषि चुनौतियों से भरी हुई है। हमारे सामने अभी मौसम परिवर्तन, जनसंख्या में वृद्वि, खेतीयोग्य भूमि में कमी और श्रमिको का पलायन विकट समस्या के रूप में उभर चुका है। जिससे निजात पाने के लिए हमें अब ऐसी तकनीक और प्रभेदो को लाने की जरूरत है जिसके माध्यम से कम भूमि में कम समय में और पोषक तत्वों से भरपूर अनाजो को उपजाया जा सके। और इसके लिए जैव प्राद्योगिकी एवं जैव रसायन विभाग के माध्यम से ऐसे प्रभेद का ईजाद होना चाहिए जिससे अच्छी पैदावार हो सके। इसके साथ ही साथ बीज एवं जल संरक्षण का कार्य भी सही तरीके से होना चाहिए।
अपने अध्यक्षीय भाषण में माननीय कुलपति महोदय ने शोध निदेशालय के कार्यो की प्रगति की सराहना की। खास कर इस बैठक में शामिल होने वाले विभिन्न जोन के नवाचारी किसानो की उपस्थिति एवं उनकी बातो से खुश होकर उन्होने निदेशक अनुसंधान को यह सुझाव दिया कि अगले शोध परिषद् की बैठक मेें इनकी संख्या दुगुनी कर दी जाय। कुलपति महोदय ने यह भी बताया कि हमारे सामने दो प्रकार की समस्याएंे है उतरी बिहार में बाढ़ तथा दक्षिणी बिहार में सुखाड़। इन दोनो परिस्थितियो को ध्यान में रखते हुए हमें अपने शोध कार्यो को अंजाम देना हैं। उतरी बिहार के लिए हमें ऐसे फसलो के प्रभेदो को विकसित करना है जो कम समय में तैयार हो सके और रबी की बुआई ससमय हो सकें। खरीफ मौसम में मक्का की अच्छी पैदावार के लिए विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की जा रही बीआरएम 17-4 एवं बीआरएम 17-6 प्रभेद को एक उत्तम विकल्प के रूप में देखा जा सकता हैं। हमें पेंटेट, कापीराईट, पेकेजिग, ब्राडिंग के प्रति ध्यान केंद्रित कर कार्य करना है। साथ ही साथ दलहन, तेलहन और श्री अन्न जैसी फसलो को विशेषरूप से प्राथमिकता देनी होगी। खादय सुरक्षा एवं संरंक्षण के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती के माध्यम से, जैव कीटनाशक का प्रयोग करते हुए हमें खेती करनी है।ं इसके साथ ही साथ उन्होने कृषि उत्पादो के मूल्य संवर्धन पर भी जोर दिया और इसके प्रचार एवं प्रसार के लिए वैज्ञानिको को जरूरी दिशा निर्देश दिये।
सभा में उपस्थित प्रगतिशील महिला कृषक श्रीमति ललिता देवी, किसनगंज एवं पुरूष कृषको श्री प्रियव्रत कुमार शर्मा, बांका, श्री औकारनाथ पटेल, कैमूर एवं श्री रविशंकर सिंह, कैमूर ने अपने द्वारा किये जा रहे क्रियाकलापों एवं उन्नत तकनीको पर प्रकाश डाला और महत्वपूर्ण सुझाव भी दियंे। इस अवसर पर शोध निदेशालय द्वारा विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकाशन को विमोचित किया गया। इस अवसर पर माननीय कुलपति महोदय के कर कमलो द्वारा विश्वविद्यालय के द्वारा विकसित विभिन्न फसलो के प्रभेदो को राष्ट्रीय स्तर पर विमोचित करने के लिए संबधित वैज्ञानिको को प्रस्सतिपत्र प्रदान किया गया। धान के लिए डा0 प्रकाश सिंह एवं टीम, तिल के लिए सीमा सिन्हा एवं टीम। तीसी के लिए डा0 आर0 बी0 पी0 निराला एवं टीम तथा मसूर के लिए डा0 अनिल कुमार एवं टीम को प्रसस्तीपत्र दिया गया।
शोध परिषद् की यह बैठक दो दिनो तक चलेगी। आज के प्रभेद एवं तकनीकी विकास के सत्र में डा0 अनिल कुमार द्वारा प्रस्तुत मसुर के प्रभेद सबौर मसुर 1 को शोध परिषद् द्वारा सफलतापूर्वक विमोचित किया गया।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, प्राचार्य, क्षेत्रिय निदेशक, विभागाध्यक्ष सहित सभी विभागो के लगभग 250 वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। इस कार्यक्रम का समापन कल दिनांक 23.10.2024 के संध्याकाल में होगा।