भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ
कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ में मखाना एवं जलजमाव क्षेत्रों के समुचित विकास एवं राष्टीय स्तर मखाना आधारित तकनीक के विस्तार हेत ुदिनांक 08 जून, 2024 से तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ।
मखाना बिहार की धरोहर विश्व पटल पर स्थापित करेगा यह राष्ट्रीय सम्मेलन: कुलाधिपति-सह-राज्यपाल, बिहार श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर
तीन दिवसीय मखाना-जलीय कृषि के साथ जलजमाव वाले पारिस्थितिकी तंत्र के उपयोग पर राष्ट्रीय सम्मेलनः चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ एवं उदधाटन मुख्य अतिथि के रूप में बिहार कृषि विश्वविद्याल, सबौर, भागलपुर के माननीय कुलाधिपति-सह-राज्यपाल, बिहार श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर राजभवन पटना एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में माननीय कृषि एवं स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार श्री मंगल पांडेय पटना से ही आॅनलाईन/आभासी रूप से जुड़ कर संयुक्त रूप से किया। माननीय कुलपति डा॰ डी॰ आर॰ सिंह ने माननीय कुलाधिपति-सह-राज्यपाल, बिहार श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में माननीय कृषि एवं स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार श्री मंगल पांडेय पटना तथा से को पौधा, मिथिला की पहचान पाग, अंगवस्त्र, भगवान बुद्ध की प्रतिमा एवं मिथिला मखाना का संदेश देकर आभासी रूप से स्वागत किया। पुनः माननीय कुलपति डा॰ डी॰ आर॰ सिंह ने डाॅ॰ संजय कुमार सिंह, उप महानिदेशक बागवानी विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली एवं डाॅ॰ विश्व बन्धु पटेल, सहायक महानिदेशक फसल एवं रोपण फसलें, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली को, पौधा, मिथिला की पहचान पाग, अंगवस्त्र, भगवान बुद्ध की प्रतिमा एवं मिथिला मखाना का संदेश देकर स्वागत किया। अष्ठिाता (कृषि) डा. अजय कुमार साह ने माननीय कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्याल, सबौर, भागलपुर डा॰ डी॰ आर॰ सिंह को निदेशक प्रसार शिक्षा डा. आर. के. सोहाने ने श्री विजय प्रकाष, पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त, बिहार सरकार, भा॰प्र॰से॰ एवं निदेशक बिहार विद्यापीठ पटना को प्राचार्य डाॅ पारस नाथ ने अष्ठिाता (कृषि) डा. अजय कुमार साह एवं निदेशक प्रसार शिक्षा डा. आर. के. सोहाने को राष्ट्रीय सम्मेलन के अयोजन सचिव मखाना वैज्ञानिक डा. अनिल कुमार ने प्राचार्य डाॅ पारस नाथ को पौधा, मिथिला की पहचान पाग, अंगवस्त्र, भगवान बुद्ध की प्रतिमा एवं मिथिला मखाना का संदेश देकर स्वागत किया। तदनोपरांत मंचासीन अतिथियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया। छात्र/छात्राओं द्वारा स्वागत गान प्रस्तुत किया गया।
माननीय कुलाधिपति-सह-राज्यपाल, बिहार श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने आभाषी रूप में महाविद्यालय परिसर में नवनिर्मित सभागार का उद्घाटन के साथ-साथ राष्ट्रीय सम्मेलन की स्मारिका, मखाना फसल प्राइड आॅफ बिहार पुस्तक का विमोचन एवं वैश्विक स्तर पर मखाना के मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग हेतु भारतीय पैकेजिंग संस्थान द्वारा डिजाइन किया गया 100 ग्रा. तथा 200 ग्रा. पैकेट का भी विमोचन किया।
इससे पूर्व माननीय कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के डा॰ डी॰ आर॰ सिंह एवं अन्य अतिथियों के द्वारा महाविद्यालय में मखाना पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया साथ ही साथ मखाना तकनीकी आधारित स्टाॅल का अवलोकन भी किया गया।
माननीय कुलाधिपति-सह-राज्यपाल, बिहार श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर अपने संबोधन में सबसे पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर और भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय, पूर्णिया को मखाना-जलकृषि के साथ जलजमाव पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोगः चुनौतियाँ एवं रणनीतियाँ विषय पर तीन-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दिये। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय सम्मेलन बिहार में मखाना के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न मुद्दों पर ज्ञानवर्धक विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदार करेगा, साथ ही बिहार के किसानों के अलावे देश के अन्य राज्यों के जलजमाव से प्रभावित क्षेत्र के किसानों के लिए भी लाभप्रद होगा। तीन-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मखाना उत्पादन, उत्पादकता, मूल्यसंवर्द्धन के विभिन्न आयामों पर विस्तार पूर्वक गहन परिचर्चा से बिहार में मखाना आधारित तकनीकियों के माध्यम से बेकार पड़े जलजमाव वाले क्षेत्रों की उत्पादन, उत्पादकता एवं लाभप्रदता में गुणोत्तर वृद्धि तो होगी ही साथ ही वैश्विक स्तर पर मखाना एवं मखाना आधरित मूल्यवर्द्धित उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा। बिहार इस संदर्भ में देश एवं विश्व के लिए मार्गदर्शक की भूमिका का निर्वहन करेगा। अंत में उन्होंने जोड. देते हुए कहा कि हमें मखाना उत्पादन पर जलवायु की प्रतिकूलता को दूर करने के लिए मखाना केन्द्रीत अनुसंधान एवं विकास की रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
माननीय कृषि एवं स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार श्री मंगल पांडेय ने अपने आभाषीय संबोधन में बताया कि बिहार राज्य से मखाना का सीधे निर्यात नहीं होने के करण वैश्विक स्तर पर मखाना के उत्पादन एवं प्रसंस्करण के लिए बिहार की पहचान नहीं हो पाती थी। मखाना का जी. आई. (ळण्प्ण्) टैगिंग मिथिला मखाना मिलने से किसानों को विपणन में अधिक से अधिक लाभ मिलेगा। राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय बाजारों में मखाना की विशेष ब्रांडिंग होगी साथ ही साथ किसानों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी। मखाना का जी. आई. (ळण्प्ण्) टैग दिलाने में कृषि महाविद्यालय, पूर्णियाँ का महत्वपूर्ण योगदान है। बाढ़ की विभिषिका से हमारी खेती योग्य जमीन जलजमाव से समस्या ग्रस्त रहती है जिसे मखाना की खेती के दौरान अवसर में परिवर्तित किया जा सकता है। मखाना-सह- मत्स्यपालन को बड़े पैमाने बढ़ाव देने की आवश्यकता पर बल दिया।
माननीय कुलपति डा॰ डी॰ आर॰ सिंह बिहार की धरोहर मखाना जिसे जलजमाव वाले क्षेत्रों में जंगली फसल के रूप में देखा जाता था। आज विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान स्थापित कर चुका है।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के सात राज्यों के वैज्ञानिकों, उद्यमियों, प्रसार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ मखाना की खेती में लगे प्रगतिशील किसानों की सक्रिय सहभागिता है। मखाना की मार्केटिंग एवं ब्रांडिग को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए इस प्रकार केे कार्यक्रम की अत्यंत आवश्यकता है, क्योकि मखाना बिहार की धरोहर फसल है और भारत के कुल मखाना उत्पादन का 85 से 90 प्रतिशत उत्पादन बिहार राज्य में ही होता है।
वैश्विक स्तर पर मखाना की मार्केटिंग एवं ब्रांडिग के लिए भारतीय पैकेजिंग संस्थान के साथ बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का सहमति पत्र (डमवतंदकनउ व िन्दकमतेजंदकपदह) हस्ताक्षरित किया गया है। मकसद है मखाना के पोषक एवं औषधीय गुणों को जनसाधरण तक पहुँचाना। इसके लिए डिजिटल मार्केटिंग, जियो टैगिंग, आधुनिक प्रसंस्करण इकाई आदि तकनीकों का सहारा लिया जाएगा। इससे किसानों में विश्वास बढ़ेगा और उत्पादों के विपणन पर उचित मूल्य की गारंटी होगी। इसके अलावा, मखाना के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (डैच्) निर्धारित करने के लिए कुछ तंत्र विकसित किए जा सकते हैं ताकि व्यापारियों द्वारा मखाना उत्पादकों का शोषण को रोका जा सके। इस शुभ अवसर पर महाविद्यालय परिसर में नवनिर्मित सभागार का उद्धाटन भी आज किया गया है, जिसकी क्षमता कुल 300 व्यक्तियों के बैठने की है, जिससे भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों का और भी सफलता पूर्वक आयोजन किया जा सकेगा।
डाॅ॰ संजय कुमार सिंह, उप महानिदेशक बागवानी विज्ञान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया हमारे पौराणिक खाद्यपदार्थों की पहचान अब भविष्य के उत्तम खाद्यपदार्थों के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इन खाद्यपदार्थों में पोषण के साथ-साथ औषधीय गुणों की प्रचुरता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मखाना जलजमाव क्षेत्रों में उपजाया जाता है। जहाॅं रासायनिक उर्वर्कों का प्रयोग न के बराबर होता है। इस प्रकार यह प्राकृतिक खाद्य औषधीय के रूप मे विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है।
डाॅ॰ विश्व बन्धु पटेल, सहायक महानिदेशक फसल एवं रोपण फसलें, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली ने अपने संबोधन में देश के जलजमाव क्षेत्रों की समस्याओं एवं क्षमता पर चर्चा करते हुए कहा कि जलीयकृषि के अनुसंधान एवं विकास केन्द्रीत योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है। मखाना के साथ पानीफल सिंघाड़ा की खेती काफी लाभप्रद है।
श्री विजय प्रकाश, पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त, बिहार सरकार, भा॰प्र॰से॰ एवं निदेशक बिहार विद्यापीठ पटना, प्राचार्य डाॅ पारस नाथ, अष्ठिाता (कृषि) डा. अजय कुमार साह एवं निदेशक प्रसार शिक्षा डा. आर. के. सोहाने मखना के मार्केंटिंग एवं ब्रांडिंग पर विस्तार पूर्वक चर्चा किया।
इससे पूर्व 35 बिहार बटालियन एन॰सी॰सी॰, पूर्णियाँ के कैडेट्स द्वारा माननीय कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के डा॰ डी॰ आर॰ सिंह को गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया। सफलता पूर्वक गार्ड आॅफ आॅनर प्राप्त करने के बाद गार्ड आॅफ आॅनर से संबंधित सभी कैडेट्स को माननीय कुलपति द्वारा उपहार भेंट किया गया। उसके बाद स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री जी के प्रतिमा पर पुष्पांजली अर्पित किया गया।
इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के अन्य राज्यों के भी वैज्ञानिकों, उद्यमियों आदि कि सहभागिता रही डाॅ॰ आर॰ एन॰ दत्ता, अवकाष प्राप्त संयुक्त निदेषक, केन्द्रीय रेषम बोर्ड, भारत सरकार, डाॅ॰ रमनीकान्त ठकुरिया, प्रधान वैज्ञानिक असम कृषि विष्वविद्यालय जोरहाट असम, डाॅ॰ विनोद कुमार गुप्ता, अवकाष प्राप्त, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र दरभंगा, डाॅ. इन्दु शेखर सिंह, प्रधान वैज्ञानिक राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केन्द्र दरभंगा, डाॅ॰ विद्या नाथ झा, अवकाष प्राचार्य, एल॰एम॰एस॰एम॰ महाविद्यालय, दरभंगा, डाॅ॰ संजीव कुमार, प्राचार्य, वी॰एम॰एस॰ काॅलेज, सुपौल, डाॅ राजेश कुमार, पूर्व निदेशक छात्र कल्याण ,बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर , डाॅ जे. एन. श्रीवास्तव, निदेशक छात्र कल्याण ,बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर, डाॅ रेवति रमण सिंह, पूर्व अधिष्ठाता (कृषि) ,बिहार कृषि विष्वविद्यालय, भागलपुर , डा. पीं कें सिंह, ई. के. एस. रमण, ई. प्रदीप कौशल, के अलावा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों के वैज्ञानिकों, के साथ साथ षोध छात्रों के अलावे मखाना के उद्योग से जुड़े विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के अन्य वैज्ञानिक डाॅ जर्नादन प्रसाद, डा॰ पंकज कुमार यादव, डाॅ॰ एन के शर्मा, डाॅ॰ तपन गोराई, डाॅ॰ रूबी साहा, डाॅ॰ राधेश्याम, डाॅ॰ सूरज प्रकाश, डाॅ॰ आशीष रंजन, डाॅ॰ माचा उदय कुमार, डाॅ॰ पंकज कुमार मंडल, डाॅ विकास कुमार एवं कर्मचारियों केलास मंडल, एव श्रवण कुमार, चन्दमणि चैधरी आदि ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के स्नातक कृृषि के छात्रों में आशीष कुमार ठाकुर, विवेक, जयंत, आदित्य, विवेकानंद, हरिओंम, नमन, अभिराम, रीतिक, दीपक कुमार, मृत्युंजय कुमार, प्रिंस, सुन्दरम, पियुष, चंदन कुमार के साथ साथ छात्राओं में अंजना, शालनी, प्रिती, निधि, अक्षया, रषमी बाला आदि ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम का संचालन डा॰ रूबि साहा तथा डा. विकास कुमार द्वारा संयुक्त रूप से किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन मखाना वैज्ञानिक डा॰ अनिल कुमार द्वारा द्वारा दिया गया।